मेवाड़ समाचार
चित्तौड़गढ़ राजस्थान हाईकोर्ट ने भीलवाड़ा जिले में वर्ष 2015 में। में एक ही परिवार के छह सदस्यों की हत्या के बहुचर्चित मामले में दोषसिद्ध दो आरोपियों को संदेह का लाभ देते हुए बरी कर दिया। कोर्ट ने माना कि अभियोजन पक्ष आरोप साबित करने में रहा नाकाम कोर्ट ने यह भी कहा कि जांच अधिकारी से गंभीर त्रुटियां हुई। जिससे अभियुक्तों को अपराध से
जोड़ने वाली कड़ी में बड़े अंतर रह गए। ट्रायल कोर्ट ने प्रत्येक परिस्थिति का विधिसंगत परीक्षण नहीं किया।
जांच में गंभीर त्रुटियां
दोष सिद्धि जो केवल अनुमानों और अस्वीकृत मान्यताओं पर आधारित थी। खंडपीठ ने दोषसिद्धि और मृत्युदंड को निरस्त करते हुए दोनों को सभी आरोपों से बरी कर दिया तथा अन्य किसी मामले में वाछित नहीं होने पर उन्हें रिहा करने के आदेश दिए।
भीलवाड़ा जिले के मांडल थाना क्षेत्र में निम्बाहेडा निवासी यूनुस (38 ) उसकी पत्नी चांदतारा (35) और उनके चार मासूम बच्चों अशरफ (10) गुड़िया (7) साजिया (4) और शकीना (2) की धारदार हथियार से हत्या कर शवों को अलग-अलग स्थानों पर फेंक दिया था। पुलिस ने शराफत और राजेश कुमार के खिलाफ छह जनों की हत्या, अपहरण और साक्ष्य मिटाने के आरोप में चार्जशीट दायर की थी। भीलवाड़ा की विशेष अदालत ने दोनों को भारतीय दंड संहिता की धारा 364,302 व 201 सहपठित धारा 34 के तहत दोषी ठहराते हुए मृत्युद्धं सुनाया था। लेकिन न्यायाधीश चंद्रशेखर तथा न्यायाधीश चंद्रशेखर शर्मा की खंडपीठ ने ट्रायल कोर्ट के निर्णय को खारिज करते हुए कहा कि अभियोजन पक्ष की ओर से प्रस्तुत साक्ष्य अस्पष्ट थे और गवाहों की गवाही में गंभीर विरोधाभास था। इससे पूरे मामले की विश्वसनीयता पर संदेह उत्पन्न होता है।
यह था पुरा घटनाक्रम
28 जुलाई 2015, सुबह 5 बजे
भीलवाड़ा के मांडल पुलिस थाने के लैंडलाइन नंबर पर फोन आया। फोन करने वाले ने कहा- सर ! अजमेर हाईवे पर हीराजी का खेड़ा गांव के पास रोड के किनारे एक महिला और आदमी की खून में लथपथ लाश पड़ी है।
पुलिस उस मामले को समझने की कोशिश ही कर रही थी कि कुछ ही देर बाद थाने का लैंडलाइन फोन एक बार फिर घनघना उठा। फोन करने वाले ने बताया- बैरा चौराहे के पास सड़क के किनारे चार बच्चों की लाशें पड़ी हैं। थाने से पुलिस की दो टीमें दोनों जगह के लिए रवाना हुईं।
पुलिस की एक टीम महिला और पुरुष की लाशों के पास पहुंची। दूसरी टीम ने बच्चों के शवों को कब्जे में लिया। प्राथमिक जांच में सामने आया कि चारों बच्चों और महिला-पुरुष की गर्दन काटकर हत्या की गई है। साथ ही शरीर पर काफी घाव थे।
सभी लाशों के पास उनकी पहचान को लेकर कुछ नहीं मिला। ऐसे में पुलिस सबसे पहले लाशों की शिनाख्त करने में जुट गई।
शर्ट पर लगे टेलर के लेबल से हुई पहचान
एक ही दिन में भीलवाड़ा में 6 लोगों की गर्दन काटकर निर्मम हत्या के मामले ने सनसनी फैला दी। मृतक कौन थे? क्या सभी एक-दूसरे के रिश्तेदार थे? कहां के रहने वाले थे? हत्या किसने की और क्यों… ऐसे कई सवालों को लेकर पुलिस ने अपनी जांच शुरू की। एक लाश से पुलिस को मृतकों से जुड़ा पहला सुराग मिला। इसके बाद पुलिस इस हत्याकांड की कड़ी से कड़ी जोड़ने में लग गई।
पुरुष के शर्ट पर टेलर का लेबल लगा हुआ था। उस लेबल के आधार पर पुलिस चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा गांव पहुंची।
वहां टेलर को जब मृतक की फोटो दिखाई तो उसने पहचान लिया। टेलर ने मृतक के घर का पता बताया।
पुलिस जब मृतक के घर पहुंची तो पता चला कि पुलिस की दोनों टीमों को जो लाशें मिली सभी एक ही परिवार की हैं। हत्यारों ने मां-बाप और बच्चों की लाशों को अलग-अलग जगह पर फेंका था।
2 साल की मासूम की भी काट दी थी गर्दन
पुलिस ने सभी शवों की शिनाख्त कर ली थी। सभी की पहचान चित्तौड़गढ़ के निम्बाहेड़ा निवासी युनुस उर्फ सेनू, उसकी पत्नी चांदतारा उर्फ सोनिया, उनके चार बच्चों अशरफ (10), गुड़िया (7), आशिदा (4) और शकीना (2) के रूप में हुई। पुलिस ने पड़ोसियों की मौजूदगी में घर की जांच की। युनुस (मृतक) के पिता हैदर अली के फोन नम्बर मिल गए। पुलिस ने उनको सूचना दी।
इधर, पड़ोसियों ने बताया कि पूरा परिवार 27 जुलाई की रात को अजमेर जियारत के लिए निकला था। पड़ोसियों को घर का ध्यान रखने का कहकर गए थे
पिता ने पड़ोसी पर जताया शक
अपने बेटे सहित उसके पूरे परिवार की हत्या की सूचना मिलने के बाद हैदर अली मॉच्र्युरी पहुंच गए। पुलिस ने हैदर अली से उनके बेटे युनुस के परिवार की किसी से दुश्मनी होने को लेकर सवाल किए।
हैदर अली ने बताया कि उसके बेटे युनुस की पड़ोस में रहने वाले सलीम से दुश्मनी थी। कई बार दोनों परिवारों के बीच विवाद भी हो चुका था। पुलिस ने और भी काफी जानकारी जुटाई। इसके बाद पुलिस सलीम को ढूंढने के लिए निकल गई।
एक महीने पहले हो गई थी सलीम की मौत
युनुस के पिता हैदर अली के बताए अनुसार जांच करने के लिए पुलिस सलीम के घर पर पहुंची। वहां पता चला कि सलीम की एक महीने पहले ही मौत हो चुकी है। पुलिस को घर पर सलीम का बेटा शराफत खान मिला।
पुलिस ने उससे भी पूछताछ की। 27 जुलाई की रात को उसकी मौजूदगी के बारे में पूछा। शराफत ने अपने राखी भाई राजेश के साथ अजमेर जाना बताया। पुलिस ने राजेश की तलाश शुरू की, लेकिन वह नहीं मिला। इसके बाद पुलिस का शक शराफत और राजेश पर बढ़ गया।
पुलिस को मिला सबसे बड़ा सुराग
शराफत की बात पर पुलिस को संदेह हो रहा था। वहीं घटना के बाद से उसका धर्म भाई राजेश भी गायब था। मुखबिर की सूचना के बाद राजेश को उसके गांव नीमच के कुकड़ेश्वर से हिरासत में ले लिया। पहले पुलिस ने राजेश से पूछताछ की। राजेश घटना वाली रात को अपनी मौजूदगी की अलग-अलग कहानी बताने लगा। इसके बाद पुलिस ने शराफत और राजेश को आमने-सामने बैठाकर पूछताछ की।
पुलिस की सख्ती के बाद दोनों टूट गए। दोनों ने हत्या की बात कबूल कर ली।

Author: mewadsamachar
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