मेवाड़ समाचार
राजस्थान के अजमेर स्थित विश्वविख्यात ख्वाजा मोईनुद्दीन हसन चिश्ती की दरगाह, जो लाखों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है, आज एक नए विवाद का केंद्र बन चुकी है। संकट मोचन महादेव मंदिर की उपस्थिति को लेकर हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता द्वारा दायर याचिका ने इस मुद्दे को और गहराई दे दी है। कोर्ट द्वारा याचिका स्वीकार किए जाने के बाद सियासी बयानबाजी तेज हो गई है।
राजस्थान सरकार के शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने इस मामले में बड़ा बयान देते हुए कहा कि इतिहास गवाह है कि बाबर, औरंगजेब और अन्य शासकों ने मंदिरों को तोड़कर मस्जिदें बनाईं। कोर्ट द्वारा प्रतिवादियों को नोटिस जारी किए जाने के बाद यह मामला अब एक अहम मोड़ पर पहुंच गया है। क्या ऐतिहासिक और धार्मिक तथ्यों की यह टकराहट भविष्य में कोई नया अध्याय लिखेगी?
न्यायालय पर छोड़ा फैसला
राजस्थान सरकार में शिक्षा एवं पंचायती राज मंत्री मदन दिलावर ने अजमेर दरगाह विवाद पर कहा कि इस मामले में न्यायालय ही अंतिम निर्णय करेगा। उन्होंने कहा कि यदि कोर्ट जांच का आदेश देता है और खुदाई होती है, तो मिलने वाले अवशेष ही सत्यता की पुष्टि करेंगे। उन्होंने इस विवाद को न्यायालय के विवेक पर छोड़ने की बात कही।
शिविर में दिलावर का संवाद
मदन दिलावर ने यह बयान कोटा के रामगंज मंडी विधानसभा क्षेत्र में ‘सरकार आपके द्वारा अभियान’ के तहत आयोजित समस्या समाधान शिविर में दिया। इस दौरान उन्होंने जनता की समस्याओं को सुना और विभिन्न विभागों के अधिकारियों के साथ मिलकर उनके समाधान पर जोर दिया।
याचिका में ऐतिहासिक दावों का हवाला
दरगाह विवाद से जुड़ी याचिका हिंदू सेना के राष्ट्रीय अध्यक्ष विष्णु गुप्ता ने दायर की है। इसमें दावा किया गया है कि दरगाह की जमीन पर पहले भगवान शिव का मंदिर हुआ करता था। याचिका में अजमेर निवासी हरविलास शारदा की लिखी पुस्तक का हवाला दिया गया है।

Author: mewadsamachar
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